1. संस्कृत शिक्षा का प्रचार-प्रसार एवं औषधालयों की स्थापना.
2. तीर्थस्थलों व कुम्भ मेलों में नि:शुल्क आवास, अन्न क्षेत्र एवं धर्म का प्रचार.
3. सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं को आर्थिक सहयोग.
4. दैवी प्रकोप एवं राष्ट्रीय संकट काल में देश की एकता, अखंडता की रक्षा के लिए भरपूर आर्थिक योगदान.
5. उदासीन सम्प्रदाय के भकित-ज्ञान समुच्चय सिद्धांत का प्रचार तथा राष्ट्र में नैतिक भावनाओं का संचार .