प्रेस मीडिया| साइटमैप
श्री गुरु अविनाशी मुनि जी का संक्षिप्त परिचय

श्री गुरु अविनाशी मुनि उदासीन सम्प्रदाय के 164 वें आचार्य थे। इस क्रम में आचार्य श्रीचन्द्र जी 165 वें आचार्य हुए। गुरु अविनाशी मुनिजी, जन जागरण हेतु समाजोत्थानार्थ राजस्थान प्रदेश में सिथत अजमेर में अवतरित हुए। आपका बाल्यकाल से ही संतों के प्रति परम स्नेह था जिसके परिणामस्वरूप आप अपनी छोटी अवस्था में ही संन्यस्त हो गये। घोर एकानितक तपस्यायुक्त जीवन व्यतीत करने के पश्चात भारतीय समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए देशव्यापी भ्रमण किया। अरावली पहाडि़यों पर सिथत जीर्ण-शीर्ण मंदिरों को धर्म तथा सांस्कृतिक केन्द्रों के संरक्षण और नवनिर्माण का संकल्प लिया। काश्मीर यात्रा के दौरान आचार्य श्रीचन्द्रजी को आपने उदासीन दीक्षा प्रदान कर भारतोद्धार की प्रेरणा दी।