ओम् संसा स्वासे में सोया , जहां सोया तहां समाया ।
जो जाने स्वासे का भेव , आपे करता आपे देव ।
उलट गगन में चन्द्र समावे, पढ़ बीज मत्र श्रीचन्द्र सुनावे।
श्रीचन्द्रदेवं शिवमद्वितीयं, भस्मावलिप्तं शशीशुभ्रवर्णम्।
पद्मासनस्थं सुखदं यत्रीन्द्रं, वाक्कायचितै: सततं भजेऽहम्।।
आप अलमस्त साहेब पद्धति के महन्त हैं। आप का गुरुस्थान तिलहर उदासीन आश्रम (शाहजहांपुर, उ०प्र०) है। आप करूणा से समन्वित नवनीत के समान वात्सल्यपूर्ण हृदय से युक्त, परमोदार, धीर-गंभीर, अचित्य चित्त से परिपूर्ण ‘‘यथा नाम तथा गुण’’ से समायुक्त तथा सर्वसद्गुण सम्पन्न हैं। आपका संस्था के प्रति अपूर्व योगदान रहा है जो प्रशंसनीय है।
आप बालूहसना साहेब पद्धति के महन्त हैं। आप का गुरुस्थान विष्णुपुर बांकुड़ा उदासीन आश्रम (पश्चिम बंगाल) है। आप हंसमुख स्वभाव, अत्यन्त मिलनसार, संतों के प्रति स्नेहशील, उच्च व्यक्तित्व के धनी एवं कत्र्तव्यनिष्ठ महापुरूष हैं। आपका संस्था के प्रति योगदान ही नहीं, बल्कि आप संस्था के प्रतिरूपेण समर्पित हैं।
आप मींहा साहेब पद्धति के महन्त हैं। आप का गुरुस्थान जमालपुर योगमाया बड़ी दुर्गा उदासीन आश्रम (बिहार) है। आप बहुत ही विनम्र स्वभाव एवं कत्र्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व के धनी हैं। आपका संस्था के कार्यों में सदैव योगदान बना रहता है।
आप भगत भगवान साहेब पद्धति के महन्त हैं| आप का गुरु स्थान श्री गुरु काष्णि उदासीन आश्रम रमणरेती धाम महावन (पुराणी गोकुल) मथुरा उत्तर प्रदेश है आप गंभीर चिंतन शील पुराणों के मरमग्य हैं| आपका व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली है आप प्राचीन परम्पराओ में पूर्ण निष्ठा एवं उन्हें अक्षुण्ण रखने में विश्वास रखते हैं संस्था के विकास में आपका योगदान सदैव रहता है।